355 IPC in Hindi | धारा 355 क्या है?

355 IPC in Hindi

355 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 355 किसी व्यक्ति को अपमानित करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने वाले अपराधों के बारे में संज्ञान लेती है। यह धारा समाज में समर्थ, सामर्थ्यशाली, और सुरक्षित माहौल को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस धारा का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर कठोर कार्रवाई की जाती है। धारा 355 का प्रमुख उद्देश्य समाज में समानता, न्याय, और समरसता को बनाए रखना है।

धारा 355 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 355 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर किसी प्रकार का हमला करता है या किसी प्रकार का आपराधिक बल का प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति को गम्भीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 67 के अधीन कोई अपराध करे, अन्यथा इस उद्देश्य से कोई कार्य करे जिससे उसका अनादर हो, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।

धारा 355 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 355 के अंतर्गत, किसी व्यक्ति को अपमानित करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने जैसे अपराधों में सजा के रूप में 2 साल कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है।

अपराध

किसी व्यक्ति को अपमानित करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल, अन्यथा गंभीर और अचानक प्रकोपन दिए जाने पर

दण्ड

2 साल कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष

धारा 355 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 355 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 355 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के समक्ष पेश किया जा सकता है।

धारा 355 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 355 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 355 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

कानूनी अंतर्दृष्टि: आईपीसी 177 के बारे में जानें

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