354d IPC in Hindi | धारा 354d क्या है?

354d IPC in Hindi

354d IPC in Hindi

मानव जीवन में नारी की सुरक्षा और सम्मान को लेकर समस्याएं हमेशा से उठती रही हैं। इसी दिशा में, भारतीय कानून ने गलत इरादे से किसी महिला का पीछा करने जैसे अपराध को रोकने के लिए विशेष धारा 354d शामिल की है। यह धारा केवल महिला सुरक्षा को बढ़ावा देने का काम करती है बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाती है।

धारा 354d भारतीय दण्ड संहिता का हिस्सा है जो स्त्री संरक्षण के लिए बनाई गई है। इसमें व्यक्ति द्वारा किसी महिला को बिना उसकी अनुमति के परेशान करने जैसे मामलों पर रोक लगाती है। यह धारा गलत इरादों को रोकने और स्त्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

महिलाओं मान-सम्मान को चोट पहुंचाना सामाजिक स्तर पर बुरा प्रभाव डालता हैं और समाज की सुरक्षा और समानता को खतरे में डालते हैं, इसलिए इस प्रकार के अपराध को रोकने के लिए लोगो को इस धारा के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

धारा 354d क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 354घ के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी महिला का बार-बार पीछा करता है या उससे संपर्क करने का प्रयास करता है, या इंटरनेट, ईमेल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक संसूचना के माध्यम से उस महिला की निगरानी करता है, तो वह व्यक्ति पीछा करने का अपराध करता है।

धारा 354d के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 354d के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 354 यानि 354d के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 354 यानि 354d के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति गलत इरादे से किसी महिला का पीछा करता है या इंटरनेट, -मेल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक संसूचना के माध्यम निगरानी करता है अथवा ऐसा करने का प्रयास करता है, तो इस प्रकार के गंभीर अपराध में पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 साल का कारावास, दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 5 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है।

अपराध

गलत इरादे से किसी महिला का पीछा करना

दंड

पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 साल का कारावास, दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 5 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 354d की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354d के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है।

धारा 354d के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले में किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है। यदि इस तरह की पीछा करने के लिए दायर की गई शिकायतो में पीड़ित महिला की पहचान को गोपनीय रखा जाता है। अगर कोई इस तरह की शिकायतों को मानने से मना कर दिया जाता है तो पीड़ित महिला सीधे न्यायिक मजिस्ट्रेट से कानूनी सहायता ले सकता है।

धारा 354d के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354d के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 354d के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं पाएगा।

 

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