346 IPC in Hindi | धारा 346 क्या है?

346 IPC in Hindi

346 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड अधिनियम 1860, की धारा 346 मुख्य रूप से किसी व्यक्ति को अनधिकृत रूप से कारावास में डालने के बारे में उल्लेख करती है। आईपीसी की यह धारा भारतीय समाज में सामाजिक सुरक्षा और मानवाधिकार की महत्वपूर्णता को साबित करता है। यह अपराध अत्यंत गंभीर है और समाज के साथ-साथ व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है। गुप्त स्थानों का सही तरीके से प्रबंधन होना चाहिए ताकि वह अवैध तरीके से इस्तेमाल नहीं हो सके और लोगों की जीवन रक्षा हो सके।

धारा 346 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 346 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर गुप्त स्थान पर गलत तरीके से छुपाकर रखे अथवा कारावास में रखे, जिसके बारे में किसी पुलिस अधिकारी या लोक सेवक को पता न हो और न ही उस स्थान के बारे में उन्हें जानकारी मिल पाए। ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।

धारा 346 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 346 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में गुप्त स्थान पर गलत तरीके से कारावास में रखने के अपराधों के लिए किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल के कारावास की सजा का और प्रावधान है।

अपराध

गुप्त स्थान पर गलत तरीके से कारावास

दण्ड

किसी अन्य धारा के तहत कारावास के अलावा 2 साल का कारावास

अपराध श्रेणी

संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

 

धारा 346 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 346 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 346 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलें समझौता करने योग्य नहीं होते हैं।

धारा 346 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 346 के अंतर्गत किए गए अपराधों को जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि ऐसे मामलों में कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

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