भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 34 किसी समूह द्वारा सामान्य उद्देश्य से किए गए अपराधिक कृत्य से सम्बंधित मामलों को परिभाषित करती है। ऐसे मामलों में अपराध करने का कारण उद्देश्य निजी लाभ और आपसी मतभेद आदि हो सकते हैं। यह अपराध शारीरिक, मानसिक या आर्थिक किसी भी स्तर पर किए जा सकते हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अनुसार, यदि दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी सामान्य उद्देश्य से कोई आपराधिक कृत्य करते हैं, तो समूह में शामिल हर व्यक्ति उस अपराध के प्रति इस प्रकार उत्तरदायी होगा, जैसे कि उसने अकेले ही वह अपराध किया हो।
भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अंतर्गत शामिल किये जाने वाले मामलों में कुछ निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्व शामिल होना आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34 के अंतर्गत किसी भी प्रकार की सजा का उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसे मामलों में अपराधियों को किए गए अपराध के अधीन सजा दी जाती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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