भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 333 एक महत्वपूर्ण धारा है, जो कि लोक सेवक को अपने कर्तव्यों के पालन करते समय स्वेच्छया से घोर क्षति करने के लिए दण्डित करने का प्रावधान किया है। यह धारा उस स्थिति में सामाजिक न्याय और समर्थन की भावना को मजबूत करने का प्रयास करती है, जब भी कोई लोक सेवक अपने दायित्वों से भयोपरत रूप से भंग करता है। IPC की धारा 333 सुनिश्चित करती है कि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का उचित रूप से पालन करें और भ्रष्टाचार या भयोपरत कृत्यों में शामिल न हो। अगर कोई लोक सेवक इस धारा का उल्लंघन करता है, तो उसे कठिन दंड भुगतना पड़ सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 333 के अनुसार, यदि कोई भी व्यक्ति जो किसी लोक सेवक के पद पर कार्य कर रहा हो को अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन करने के लिए परिणास्वरूप स्वेच्छया से घोर क्षति कारित करने या फिर ऐसे प्रयास करने वाले वाले व्यक्ति को भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 333 के अंतर्गत, लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया से घोर क्षति कारित करने जैसे अपराधों के लिए दस साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया से घोर क्षति कारित करना |
दण्ड |
10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 333 के अंतर्गत किये जाने वाले सभी अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 333 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है। इस तरह के अपराधों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 333 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 333 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |