300 IPC in Hindi | धारा 300 क्या है?

300 IPC in Hindi

300 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 300 हत्या के बारे में संज्ञान लेती है। हत्या भारतीय कानून में एक गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए कठोर दंड निर्धारित किये गए हैं। इस धारा का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को कठोर दण्ड दिया जाता है। हालाँकि धारा 300 में इसके बारे में सजा का प्रावधान देखने को नहीं मिलता है। यह धारा केवल हत्या को परिभाषित करती है और इसकी स्थितियों को स्पष्ट करती है। सामाजिक संरक्षा की दृष्टि से यह धारा अत्यंत महत्वपूर्ण है।

धारा 300 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 300 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है, जिससे किसी व्यक्ति की मॄत्यु हो गई हो, या वह कार्य मॄत्यु कारित करने के उद्देश्य से किया गया हो, अथवा कोई ऐसा कार्य जो किसी को शारीरिक क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया हो, जिससे किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाई गई है अथवा उसके मॄत्यु होना की सम्भावना हो, अथवा जिस कार्य करने का उद्देश्य शारीरिक क्षति, प्रकॄति के मामूली अनुक्रम में मॄत्यु कारित करना हो और यदि इस तरह के किसी भी कार्य को करने वाला व्यक्ति यह जानता हो कि कार्य कितना घातक है और उससे मॄत्यु होने की पूरी संभावना है या फिर उससे किसी को शारीरिक क्षति पहुंचे जिससे मॄत्यु होना संभाव्य है और यदि अपराध करने वाला व्यक्ति मॄत्यु कारित करने या पूर्वकथित रूप से किसी को क्षति पहुँचाने का जोखिम उठाने के लिए बिना किसी क्षमायाचना के ऐसा कार्य करता है, तो अपवादित मामलों को छोड़कर अन्य प्रकार के मामलों को आपराधिक गैर इरादतन मानव वध हत्या में शामिल किया जाएगा।

धारा 300 के अपवाद

धारा 300 के कुछ अपवाद भी है, जिन स्थितियों में गैर इरादतन मानव वध नहीं माना जाता है। इस धारा के अंतर्गत यदि हत्या करने वाला अपराधी उस प्रकोपन दिए जाने के समय प्रकोपन देने वाले व्यक्ति की गम्भीर और अचानक प्रकोपन से आत्म संयम की शक्ति से वंचित हो, मॄत्युकारित करे अथवा भूल या दुर्घटनावश किसी अन्य व्यक्ति की मॄत्यु कारित करे। हालाँकि इस अपवाद की भी कुछ शर्तें हैं, जो निम्नलिखित है।

  1. यदि किया जाने वाला प्रकोपन किसी व्यक्ति का वध करने या क्षति पहुँचाने के लिए अपराधी द्वारा प्रतिहेतु के रूप में स्वेच्छा पूर्वक प्रकोपित न हो।
  2. यदि दिया गया प्रकोपन विधि के पालन में या लोक सेवक द्वारा उसकी शक्तियों के विधिपूर्ण प्रयोग में न दिया गया हो।
  3. यदि प्रकोपन निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई किसी बात में शामिल न किया गया हो।

धारा 300 की अपराध श्रेणी

अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।

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