298 IPC in Hindi | धारा 298 क्या है?

298 IPC in Hindi

298 IPC in Hindi

भारतीय समाज में धार्मिक भावनाएं का बहुत महत्व है। भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 298 समाज में धार्मिक शांति और सद्भावना को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह धारा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई और दण्ड का प्रावधान करती है। इसमें व्यक्ति या समूह द्वारा धर्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए उच्चारित शब्द, ध्वनि, या इशारा करने की क्रिया पर कानूनी प्रतिबंध लगाया गया है।

धारा 298 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 298 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से किसी शब्द का उच्चारण करे या किसी प्रकार की ध्वनि उत्पन्न करे या कोई इशारा करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।

धारा 298 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के अंतर्गत, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से कोई शब्द उच्चारित करने या कोई ध्वनि उत्पन्न करने या कोई इशारा करने जैसे अपराधों के लिए 1 वर्ष का जुर्माना या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है।

अपराध

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से उसकी श्रवणगोचरता में कोई शब्द उच्चारित या कोई ध्वनि करना या कोई इशारा करना

दण्ड

1 वर्ष का जुर्माना या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय/ असंज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 298 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना जाँच शुरू नहीं कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 298 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में न्यायालय की सहमति से और पीड़ित व्यक्ति, जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा हो की सहमति से द्वारा समझौता किया जा सकता है।

धारा 298 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 298 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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