भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 273, एक ऐसा कानून है जो खाने-पीने के रूप में हानिकारक किसी भी भोजन या पेय को बेचने पर लगाया जा सकता है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति या संघ किसी भोजन या पेय को बेचता है जो कि नुकसानकारक है, तो ऐसे व्यक्ति या संघ पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह धारा सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को बचाने के उद्देश्य से बनाई गई है। यहाँ एक बदला हुआ मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने का मामला सम्मिलित हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा, किसी नशीले पदार्थ को खाद्य पदार्थों में मिलाने का प्रयास भी इस धारा के तहत आता है। इस धारा का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है, जो कानूनी कार्रवाई के तहत दंड या जुर्माने का संज्ञान कर सकती है। इससे न सिर्फ व्यक्तियों के स्वास्थ्य को खतरा होता है, बल्कि समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 273 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए या विश्वास रखते हुए भी कि वह खाने-पीने की किसी ऐसी वस्तु को बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा, जो अपायकर हो गई हो या कर दी गई हो, या जो खाने-पीने के लिए उपयुक्त न हो, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता की धारा 273 के अंतर्गत, खाने-पीने के रूप में हानिकारक किसी भी भोजन या पेय को बेचने जैसे अपराधों के लिए छह महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
खाने-पीने के रूप में हानिकारक किसी भी भोजन या पेय को बेचना |
दण्ड |
6 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना या दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 273 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 273 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस प्रकार के मामलों में किसी भी प्रकार का समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 273 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 273 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
---|---|---|---|---|
Offence | |
---|---|
Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |