211 IPC in Hindi | धारा 211 क्या है?

211 IPC in Hindi

211 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड संहिता में अनेक प्रावधान हैं जो न्यायिक प्रक्रिया में सत्यता और न्याय को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। इसी धारा के अंतर्गत 211 आईपीसी एक ऐसा प्रावधान है जो घायल करने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप लगाने के खिलाफ है। 211 आईपीसी का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए किसी भी प्रकार के झूठे आरोपों को रोका जाए। इस धारा का प्रमुख उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में सत्यता को हमेशा बनाए रखना चाहिए ताकि निर्दोष व्यक्तियों को कभी भी गलत तरीके से दोषी ठहराया ना जा सके।

धारा 211 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 211 के अंतर्गत वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध वह कोई आरोप लगाने वाला हो या कार्यवाही की जानी हो और आरोप लगाने वाला व्यक्ति यह जानते हुए भी कि उसके द्वारा लगाए गए आरोप का कोई न्यायसंगत या विधिपूर्ण आधार नहीं है। फिर भी क्षति कारित करने के आशय उस व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपराध लगाता है या उस पर किसी प्रकार की अपराधिक कार्यवाही करता है, तो वह व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार दोषी माना जाएगा।

धारा 211 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 211 के अंतर्गत, यदि कोई घायल करने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप लगाता है, तो 2 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रावधान है। वहीं अगर लगाए गए अपराध का आरोप 7 साल या उससे अधिक समय के कारावास से दंडनीय हो, तो उसके लिए 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का प्रावधान है, जबकि आजीवन कारावास या आजीवन कारावास की सजा के लिए लगाए गए अपराध का आरोप लगाने पर 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।

अपराध

घायल करने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप लगाना

यदि लगाया गया अपराध का आरोप 7 साल या उससे अधिक समय के कारावास से दंडनीय हो

यदि लगाया गया अपराध का आरोप तो आजीवन कारावास या आजीवन कारावास की सजा हो।

दंड

2 साल का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना या अथवा दोनों

7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना

7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

असंज्ञेय/गैर-संज्ञेय (अपराध समझौता करने योग्य नहीं)

असंज्ञेय/गैर-संज्ञेय (अपराध समझौता करने योग्य नहीं)

असंज्ञेय/गैर-संज्ञेय (अपराध समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

जमानतीय

जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 211 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 211 के अंतर्गत किया गया अपराध एक असंज्ञेय/गैर-संज्ञेयअपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 211 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में पीड़ित व्यक्ति यानि जिस पर अतिचार हुआ हो की सहमति से समझौता किया जा सकता है।

धारा 211 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 211 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 211 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

आईपीसी 374 रहस्योद्घाटन: जानने के लिए क्लिक करें

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