भारतीय कानूनी की भारतीय दंड संहिता (IPC) में धारा 186 लोक सेवकों के कार्यों की सुरक्षा और संरक्षण को संरक्षित करती है। यह धारा लोक सेवकों के कार्यों को स्वाधीनता को सुरक्षित रखती है ताकि वह अपने कार्यों को निष्पक्षता से संचालित कर सकें और समाज के हित में सक्रिय रूप से योगदान दे सकें। यह धारा लोक सेवकों को सम्मान और सुरक्षा प्रदान करती है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 186 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के सार्वजनिक कॄत्यों के निर्वहन में जानबूझ कर किसी प्रकार की बाधा डालता है, तो वह व्यक्ति भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा। यदि कोई समूह भी इस तरह के मामलों में शामिल पाया जाता है, तो समूह में शामिल हर व्यक्ति उस अपराध के प्रति उत्तरदायी होगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 186 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह द्वारा किसी लोक सेवक या सरकारी कर्मचारी के कार्यों को बाधित करने का प्रयास करने का प्रयत्न करता है, तो उस अपराधी के लिए 3 महीने का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में पांच सौ रुपए का जुर्माना या फिर कारावास के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है।
अपराध |
लोक सेवक के लोक कॄत्यों के निर्वहन में बाधा डालना |
दंड |
3 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 186 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध है, यानि यानि इस प्रकार के मामलों में पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है और साथ ही अदालत की अनुमति के बिना जाँच शुरू नहीं कर सकती। धारा 186 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले में किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के अपराधों में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 186 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 186 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
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Bail | |
Triable By | |