भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 181 एक महत्वपूर्ण धारा है, जो किसी सरकारी या सार्वजनिक पद पर शपथ या प्रतिज्ञान दिलाने के लिए अधिकृत हो, उसे धोखा देने के बारे में संज्ञान लेती है। यह धारा सार्वजनिक सेवकों को अपने कर्तव्यों की दृष्टि से जिम्मेदार रहने के लिए प्रेरित करती है और उन्हें निष्पक्षता और ईमानदारी की दिशा में मार्गदर्शन करती है। शपथ या प्रतिज्ञान के समय गलत बयान देने वाले व्यक्ति को कठोरता से दंडित किया जाता है। इसके अतिरिक्त धारा 181 भारतीय समाज में भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 181 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक द्वारा या लोक सेवक के पद पर काम कर रहे व्यक्ति द्वारा अथवा कानून द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी विषय पर सत्य बताने के लिए ऐसी शपथ या प्रतिज्ञान दिलाने के लिए अधिकृत शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा कानूनी रूप से बाध्य होने पर, ऐसे लोक सेवक या पूर्वोक्त अन्य व्यक्ति, उस विषय को छूता है, किसी भी ऐसे कथन जो झूठा है, और जिसके बारे में वह जानता है या झूठ मानता है या जिसके सत्य होने पर वह विश्वास नहीं करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 के अंतर्गत, लोक सेवक या शपथ या प्रतिज्ञान दिलाने के लिए अधिकृत व्यक्ति को शपथ या प्रतिज्ञान पर गलत बयान देने जैसे अपराधों के लिए 3 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
लोक सेवक या शपथ या प्रतिज्ञान दिलाने के लिए अधिकृत व्यक्ति को शपथ या प्रतिज्ञान पर गलत बयान देना |
दण्ड |
3 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) जमानतीय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू नहीं की जा सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 181 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 181 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Triable By | |