भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 172 कानूनी प्रणाली में न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन करने के बारे में संज्ञान लेती है। यह धारा उन स्थितियों में किसी व्यक्ति को दण्डित करती है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी सम्मन का पालन नहीं करता है, उससे बचने के लिए फरार हो जाता है और लोक सेवकों द्वारा किए जाने वाले सम्मन, पूछताछ या अन्य कार्यवाही को दुरुस्त करता है। यह धारा न्यायिक प्रक्रिया में विशेषता और सुरक्षा जोड़ने का एक प्रयास है ताकि लोक सेवकों द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया में सही समय पर न्याय कर सके।
भारतीय दंड संहिता की धारा 172 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी ऐसे लोक सेवक द्वारा निकाले गए आदेश, समन या सूचना की तामील या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार होने या फिर किसी ऐसे आदेश, समन या सूचना को नहीं मानना जिसमें स्वयं या अभिकर्ता को न्यायालय में हाजिर होने के लिए कहा गया हो और वह न्यायालय में हाजिर न हुआ हो, तो ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 172 के अंतर्गत, सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाने जैसे अपराधों के लिए एक महीने के साधारण कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में पांच सौ रूपये तक का जुर्माने की सजा का प्रावधान है, लेकिन यदि अदालत के सम्मन या नोटिस में व्यक्ति की उपस्थिति की आवश्यक हो और कोई व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है, तो इसके लिए छह महीने के साधारण कारावास या फिर आर्थिक दण्ड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
लोक सेवक द्वारा निकाले गए सम्मन या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना |
यदि अदालत के सम्मन या नोटिस में व्यक्ति की उपस्थिति की आवश्यकता हो |
दण्ड |
1 महीने के लिए साधारण कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
6 महीने के लिए साधारण कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 172 के अंतर्गत किये जाने अपराधों को गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 172 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के समक्ष पेश किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 172 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 172 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |