161 IPC in Hindi | धारा 161 क्या है?

161 IPC in Hindi

161 IPC in Hindi

भारतीय कानूनी प्रणाली (IPC), 1860 की धारा 161 एक महत्वपूर्ण धारा है, जिसे भारत सरकार द्वारा निरस्त किया जा चूका है। धारा 161 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़ा है। यह धारा सरकारी अधिकारियों के लिए एक नैतिकता और जिम्मेदारी का मापदंड स्थापित करती है, ताकि वे अपनी वैध तनख्वाह के अलावा किसी भी अन्य धन या उपहार को स्वीकार न करें। यदि कोई सरकारी अधिकारी धारा 161 का उल्लंघन करता है और किसी व्यक्ति से धन या उपहार स्वीकार करता है, तो उसे कानून के अनुसार दंडित किया जा सकता है। इस प्रकार, यह प्रावधान सरकारी अधिकारियों को अपनी नैतिकता और ईमानदारी को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।

धारा 161 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 161 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति सरकारी अधिकारी के पद पर कार्य करते हुए या शीघ्र ही सरकारी अधिकारी होने की आशा रखते हुए अपनी वैध तनख्वाह के अलावा किसी अन्य प्रकार का धन लेता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाएगा।

धारा 161 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 161 के अंतर्गत, किसी सरकारी अधिकारी द्वारा वैध तनख्वाह के अलावा कोई और धन लेने जैसे अपराधों के लिए 3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने की सजाओं का प्रावधान है।

अपराध

सरकारी अधिकारी द्वारा वैध तनख्वाह के अलावा कोई और धन लेना

दंड

3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के न्यायालय के द्वारा विचारणीय

धारा 161 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 161 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 161 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं है।

धारा 161 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 161 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 161 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

अपराध की निरस्तता

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 161 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (1988 का 49) की धारा 31 द्वारा निरसित कर दिया गया था।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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