111 IPC in Hindi | धारा 111 क्या है?

111 IPC in Hindi

111 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 111 दुष्प्रेरक का दायित्व को निर्धारित करती है। यह धारा उस स्थिति को स्पष्ट करती है, जब एक कार्य के लिए दुष्प्रेरण किया गया हो, तो उसके लिए कौन-कौन व्यक्ति उत्तरदायी माना जाएगा। धारा 111 दंड संहिता में उल्लेख किया गया है कि जब कोई व्यक्ति एक कार्य का दुष्प्रेरण करता है और उस कार्य से किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। दुष्प्रेरण एक ऐसी क्रिया होती है जिससे किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है। यह नुकसान व्यक्ति के शरीर, संपत्ति, या आत्मा में हो सकता है। यह धारा दुष्प्रेरण के अपराध को परिभाषित करती है और दुष्प्रेरक के ऊपर कड़ी कार्रवाई को सुनिश्चित करती है। 

धारा 111 क्या है?

जब कि किसी एक कार्य के लिए दुष्प्रेरण किया जाता है, और इससे भिन्न कोई कार्य किया जाता है, तब दुष्प्रेरक भी उस किए गए आपराधिक कार्य के लिए उसी प्रकार से और उतना ही दायित्व होगा, मानो उसने सीधे उसी कार्य का दुष्प्रेरण किया हो, परन्तु यह तब ही होगा जब कि किया गया कार्य दुष्प्रेरण का अधिसम्भाव्य परिणाम था और उस उकसाहट के असर के अधीन या उस सहायता से या उस षडयंत्र के अनुसरण में किया गया था जिससे वह दुष्प्रेरण गठित होता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून में अपराधी माना जाएगा।

धारा 111 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 111 के अंतर्गत, किये जाने वाले अपराधों के लिए दण्ड उसी अपराध के अनुसार निश्चित किया जाता है जिस अपराध को करने के लिए उकसाने का इरादा है।

अपराध

दुष्प्रेरक का दायित्व जब एक कार्य का दुष्प्रेरण किया गया हो

दण्ड

उस अपराध के समान जिसके लिए उकसाने का इरादा है

अपराध श्रेणी

उस अपराध के अनुसार जिसके लिए उकसाने का इरादा है (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

उस अपराध के अनुसार जिसके लिए उकसाने का इरादा है

विचारणीय

उस अपराध के अनुसार जिसके लिए उकसाने का इरादा है

धारा 111 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 111 के अंतर्गत, अपराध की श्रेणी किये गए अपराध के अनुसार निर्धारित की जाती है। धारा 111 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किस न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा, यह भी किये गए अपराध के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इस प्रकार के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।

धारा 111 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 111 के अंतर्गत, किए गए सभी अपराध जमानतीय होंगे या गैर-जमानतीय यह भी उस अपराध के अनुसार ही निश्चित किया जाएगा, जिस अपराध को करने के लिए अपराधी को उकसाया गया हो।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
Offence
Punishment
Cognizance
Bail
Triable By

सेवा बुक करें