107 IPC in Hindi | धारा 107 क्या है?

107 IPC in Hindi

107 IPC in Hindi

समाज में दुष्प्रेरण या उकसावे से सम्बन्धित कई अपराध होते हैं, जिनसे शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तौर पर किसी को भी प्रताड़ित किया जा सकता है। इस प्रकार के अपराध कोई बार धार्मिकता से भी जुड़े होते है, जो केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं और समाज की सुरक्षा और समानता को खतरे में डालते हैं, इसलिए इस प्रकार के अपराध को रोकने के लिए लोगो को इस धारा के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

धारा 107 क्या है?

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 107 के अंतर्गत धारा दुष्प्रेरण यानि उकसावे से सम्बन्धित मामलों का उल्लेख किया गया है। अगर कोई व्यक्ति निम्नलिखित काम करता है तो धारा 107 अंतर्गत वह अपराधी माना जाएगा।

  1. किसी व्यक्ति को उकसाना - यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कोई अनुचित या अवैध कार्य करने के लिए किसी प्रकार का सुझाव देता है, उसे उत्तेजित करता है, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित करता है, फुसलाता, प्रार्थना या विनती करता है तो यह सभी दुष्प्रेरण या उकसाना माना जाएगा। कई बार मौन स्वीकृति को भी इसी श्रेणी में शामिल किया जाता है।
  2. षडयंत्र द्वारा दुष्प्रेरण - एक या एक से अधिक व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति से कोई अनुचित या अवैध कार्य करवाने हेतु किया गया षड़यंत्र धारा 107 के अंतर्गत अपराध माना जाता है।
  3. सहायता के द्वारा दुष्प्रेरण - यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की किसी की अंजान बन कर या प्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति की कोई कार्य करके, उसके कार्य को आसान बनाकर या अन्य किसी तरह से सहायता करता है, तो वह भी धारा 107 के अंतर्गत शामिल किया जा सकता है।

इस तरह के अपराध में बहकावे में आकर अपराध करने वाला व्यक्ति और अपराधी को बहकाने वाला व्यक्ति दोनों के लिए ही सजा का प्रावधान है।

धारा 107 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 107 व्यक्ति के अपराध के बारे में तो वर्णन करती है, लेकिन इस धारा में किसी भी प्रकार की सजा का उल्लेख नहीं किया गया है। दुष्प्रेरण/उकसावे से सम्बन्धित अपराधों का उल्लेख धारा 109 से धारा 116 में देखने को मिलता है।

संहिता की धारा 109 के तहत, दुष्प्रेरित व्यक्ति द्वारा किए गए किसी अपराधिक कार्य के लिए उस व्यक्ति को दुष्प्रेरणा देने वाला व्यक्ति भी समान रूप से उत्तरदायी होगा। यानि अगर कोई व्यक्ति किसी से उकसाने पर चोरी करता है और उसे 6 महीने के कारावास की सजा दी जाएगी, वहीँ उकसाने वाले व्यक्ति को भी 6 महीने की कैद होगी। यह नियम ऐसे अपराधों में लागू नहीं होता है जहां उकसाने वाले और उकसाने वाले व्यक्ति को अलग-अलग सजा देने के लिए अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं।

इसके अलावा, धारा 115 के तहत यदि गंभीर दुष्प्रेरित कार्य जिससे किसी की मृत्यु हो जाए ऐसे अपराध के लिए मृत्युदंड का प्रावधान था और दुष्प्रेरक को 7 साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा, जबकि ऐसा अपराध जिसमें किसी को जान का नुकसान हो, तो उसमें दुष्प्रेरित करने वाले को 14 साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

धारा 116 में दुष्प्रेरण से सम्बन्धित सजा का प्रावधान है। यदि उकसाया गया कार्य कारावास से दंडनीय है, लेकिन ऐसा किया नहीं गया है, तो ऐसे मामले में उकसाने वाला ऐसे अपराध के लिए प्रदान की गई अधिकतम अवधि के 1/4 के लिए उत्तरदायी है।

धारा 107 की अपराध श्रेणी और  जमानत का प्रावधान

जैसा कि हमने अभी बताया IPC की धारा 107 केवल मूल अपराध के बारे में जानकारी देती। इस धारा में अपराध की सजा से सम्बन्धित कोई प्रावधान नहीं है। तो धारा 107 के अपराध में जिस धारा के अंतर्गत सजा की जाएगी उसी पर यह निर्भर करेगा कि अपराधी द्वारा किया गया अपराध किस श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा और वह अपराध जमानती (Bailable) या गैर-जमानती (Non-Bailable) है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
Offence
Punishment
Cognizance
Bail
Triable By

सेवा बुक करें