इस धारा के अंतर्गत नशे की स्थिति में किसी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि अस्पताल, धर्मगर्त, या रेलवे स्थल में शराब, भांग, गांजा, चरस, या किसी अन्य प्रकार के नशे में प्रवेश कर असामाजिक और अनैतिक व्यवहार करने वाले व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है। इस धारा का उद्देश्य समाज में एक सुरक्षित माहौल तैयार करना है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 510 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी नशे की हालत में किसी ऐसे लोक स्थान अथवा किसी ऐसे स्थान में प्रवेश करता है, जहाँ नशे की हालत में प्रवेश करना अतिचार हो और फिर अपने आचरण द्वारा किसी व्यक्ति को क्षुब्ध करता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 510 के अंतर्गत, नशे की हालत में लोक स्थान में प्रवेश कर किसी व्यक्ति को क्षुब्ध करने जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों के लिए सरल कारावास की सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
नशे की हालत में लोक स्थान में प्रवेश कर किसी व्यक्ति को क्षुब्ध करना |
दण्ड |
24 घंटे या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों के लिए सरल कारावास |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 510 के अंतर्गत किये जाने अपराधों को गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 510 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के समक्ष पेश किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 510 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 510 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
कानूनी जानकारी के लिए क्लिक करें: आईपीसी 438 का अन्वेषण करेंOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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