477A IPC in Hindi | धारा 477A क्या है?

477A IPC in Hindi

477A IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 के तहत, धारा 477A एक महत्वपूर्ण धारा है, जो जो लिपिक, आफिसर या किसी अन्य सरकारी सेवक द्वारा लेखा में मिथ्याकरण करने के कृत्यों से संबंधित है। यह प्रावधान सरकारी सेवकों के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करने और पारदर्शिता बनाए रखने के महत्व को उजागर करता है। यह एक प्रकार का गंभीर अपराध है। धारा 477A के तहत, यदि कोई सरकारी सेवक अपने कर्तव्यों का पालन करने के दौरान लेखा में मिथ्याकरण करता है या गलतियाँ करता है, तो उसे गंभीर दंड का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रावधान का उद्देश्य सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को रोकना है, ताकि सरकारी संसाधनों का सही तरीके से उपयोग हो सके और जनता का विश्वास सरकारी सेवाओं पर बना रहे।

धारा 477A क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 477A के अनुसार, यदि कोई लिपिक, आफिसर या सरकारी सेवक होते हुए या लिपिक, आफिसर या सरकारी सेवक के पद पर कार्य करते हुए, किसी मूल्यवान प्रतिभूति जैसे (पुस्तक, इलैक्ट्रानिक अभिलेख, कागज, लेख) या लेखा में कपट करने के उद्देश्य से जानबूझकर किसी प्रकार की प्रविष्टि करेगा या कोई दुष्प्रेरण करेगा, या उस प्रतिभूति या लेखा में या उसमें किसी तात्विक विशिष्टि का लोप या परिवर्तन करेगा, या ऐसा करने का दुष्प्रेरण करेगा, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है।

धारा 477A के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 477A के अंतर्गत, लेखा का मिथ्याकरण करने जैसे अपराधों के लिए आजीवन कारावास या 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने अथवा दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है।

अपराध

लेखा का मिथ्याकरण करना

दण्ड

7 साल के कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की

अपराध श्रेणी

संज्ञेय

जमानत

गैर-जमानतीय

विचारणीय

प्रथम श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष

धारा 477A की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 477A के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 477A के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है।

धारा 477A के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 477A के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 477A के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।

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