भारतीय दंड संहिता अधिनियम (IPC) 1860 के अंतर्गत, धारा 457 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है। इस धारा के तहत, व्यक्ति अपने घर के अंदर छिपकर गृह-अतिचार या गृह-भेदन करने पर कड़ी कार्रवाई का सामना कर सकता है। यह अपराध न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करता है, बल्कि समाज में सुरक्षा और भरोसा की भावना को भी खत्म करता है।
यह धारा सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि लोगों के घरों में उनकी निजी जीवन में आत्म-स्वतंत्रता का उपयोग कर सकें। इस धारा के तहत समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा के मामले में एक मजबूत संदेश होता है और लोगों को यह आत्म-रक्षा करने के लिए प्रेरित करती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 457 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति दण्डनीय अपराध करने के लिए कारावास से रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करता है या फिर चोरी करता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 457 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करने के अपराध के लिए 5 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है जबकि अगर यह अपराध चोरी से जुड़ा हो तो इसके लिए 14 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान है।
अपराध |
कारावास से दण्डनीय अपराध करने के लिए रात में छिप कर गॄह-अतिचार या गॄह-भेदन करना। |
यदि अपराध चोरी है। |
दण्ड |
5 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
14 वर्ष के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
संज्ञेय |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 457 के अंतर्गत किया गया अपराध दोनों अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता भी नही पड़ती है। धारा 457 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाता हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 457 के अंतर्गत किए गए अपराधों को गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि यदि कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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