भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 441 एक अहम धारा है जो आपराधिक अतिचार से संबंधित है। इस धारा के तहत व्यक्ति जब किसी अन्य व्यक्ति की सम्पत्ति पर अतिक्रमण करता है, तो उस पर धारा 441 लागू हो सकती है। इस धारा में आपराधिक अतिचार को परिभाषित किया गया है। हालाँकि इस धारा आपराधिक अतिचार के बारे में किसी प्रकार की सजा का उल्लेख नहीं किया गया है। यह एक गंभीर अपराध है जो समाज में व्यक्ति व्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकारों को उनसे छीनता है। इसके अलावा, इससे व्यक्ति का मानवाधिकारों के प्रति विश्वास कम हो सकता है और समाज में असहमति और असुरक्षा की भावना पैदा हो सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 441 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी संपत्ति पर जो किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में है, किसी प्रकार का अपराध करने के उद्देश्य से प्रवेश करता है या जिस व्यक्ति के कब्जे में ऐसी संपत्ति है उसे अपमानित, भयभीत या परेशान करता है अथवा किसी ऐसी संपत्ति पर विधिपूर्वक प्रवेश करता है और इसके बाद विधिविरुद्ध रूप से वहां बना रहता है, तो ऐसे कार्य को आपराधिक अतिचार करना कहा जाता है।
उत्तरप्रदेश राज्य में धारा 441 में संशोधन किया गया है। इस राज्य संशोधन के अंतर्गत उत्तरप्रदेश राज्य में आईपीसी की धारा 441 के स्थान पर आपराधिक अतिचार के लिए अग्रलिखित वाक्य को प्रतिस्थापित किया जाएगा।
राज्य संशोधन के अनुसार, "अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे के द्वारा कब्जे में की गई संपत्ति पर कोई अपराध करता है या अपराध करने के उद्देश्य से उस सम्पत्ति पर रहता है या उस व्यक्ति को जिसने कोई सम्पत्ति कब्जे में की है, उसे भयभीत, परेशान या अपमानित करे अथवा आपराधिक कानून अधिनियम (यू.पी. संशोधन) 1981 के पहले अथवा इसके प्रभाव में आने के बाद ऐसी ऐसी संपत्ति पर अनधिकृत कब्जा प्राप्त करने या उस संपत्ति का अनधिकृत उपयोग करने के उद्देश्य से उस संपत्ति पर प्रवेश कर चुका हो और वह दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखित में सूचना पत्र जो कि सम्यक् रूप से उस पर तामील हो चुका है, में दी गई तिथि तक उस संपत्ति से हटने या उसका कब्जा या उपयोग करना छोड़ने में असफल रहता है, तो ऐसा करना आपराधिक अतिचार कहलाता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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