भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 439 जलयान में चोरी करने वाले अपराधों के बारे में संज्ञान लेती है। इस धारा के तहत, ऐसे क्रियावली करने वाले व्यक्ति पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाती है। इस धारा का मुख्य उद्देश्य चोरी, लुटेरे, आतंकी और अन्य अपराधिक क्रियाओं पर रोक लगाना है। इस तरह की प्रक्रियाएं सामाजिक सुरक्षा और समृद्धि को खतरे में डाल सकती हैं। ऐसे अपराधों के बारे में जागरूक होने के लिए इस धारा के बारे में जानना अति आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 439 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी जलयान में रखी हुई सम्पत्ति की चोरी या बेईमानी करने के आशय से उस जलयान को भूमि या किनारे पर चढ़ाता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 439 के अंतर्गत, चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को भूमि या किनारे पर चढ़ाने जैसे अपराधों के लिए आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को भूमि या किनारे पर चढ़ाना |
दण्ड |
10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 439 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 439 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में किसी प्रकार का समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 439 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 439 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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