भारतीय दंड संहिता अधिनियम 1860 के अंतर्गत, धारा 417 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है जो छल करने को अपराध मानती है। इस धारा के अनुसार धोखा देने वाले व्यक्ति के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है।
इस धारा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तियों को ऐसी गतिविधियों से रोकना है जो सामाजिक न्याय और कानूनी नियमों के खिलाफ होती हैं। यह अपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है ताकि समाज में विश्वास बना रह सके और लोग एक दूसरे के साथ ईमानदारी से व्यवहार कर सकें।
भारतीय दंड संहिता की धारा 417 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के साथ छल करता है अथवा किसी प्रकार का धोखा देता है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 417 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में चोरी या डकैती की किसी संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए सजा के रूप में आजीवन कारावास अथवा दस वर्ष के कठिन कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
धोखा देना |
दण्ड |
1 वर्ष का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी मजिस्ट्रेट के समक्ष विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 417 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं पड़ती है। धारा 417 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जा सकते हैं। इस तरह के अपराधों में न्यायालय की अनुमति द्वारा पीड़ित व्यक्ति की सहमति से (जिसके साथ धोखा हुआ हो) समझौता करना संभव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 417 के अंतर्गत किए गए अपराधों को जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि यदि कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
आईपीसी 412 को समझें: भारतीय कानून के लिए आपकी मार्गदर्शिकाOffence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Triable By | |