भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 कई तरह के अपराधों और उनके दण्डों को परिभाषित करती है, जिसमें एक अहम धारा है धारा 398 जो घातक हथियारों से लैस होने पर डकैती या डकैती की कोशिश करने के बारे में है। यह धारा एक व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों के साथ जानलेवा हमला करने पर मुकदमा करने का प्रावधान करती है। यह अपराध गंभीर होता है, क्योंकि इसमें जीवन और समाज की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 398 के अनुसार, कोई व्यक्ति डकैती करते समय किसी घातक हथियार से लैस हो, जिससे किसी को जान का खतरा हो या गंभीर चोट पहुंचने की आशंका हो, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को भी गंभीर अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 398 के अंतर्गत, घातक हथियारों से लैस होने पर डकैती या डकैती की कोशिश करने के अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए कम से कम सात वर्ष का कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
घातक हथियारों से लैस होने पर डकैती या डकैती की कोशिश करना |
दंड |
कम से कम सात वर्ष का कठोर कारावास |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 398 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 398 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता किया जाना सम्भव नहीं है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 398 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 398 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
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