भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 372 कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण धारा है जो नाबालिगों को वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजनों के लिए बेचना या भाड़े पर देना पर प्रतिबन्ध लगाती है। यह धारा समाज में न्याय और समाजसेवा की भावना को मजबूत करने के लिए बनाई गई है ताकि कोई भी नाबालिग इस प्रकार के अनैतिक और अनैतिहासिक कृत्यों से सुरक्षित रह सके। कोई भी व्यक्ति या संघ जो नाबालिग को वेश्यावृत्ति के प्रयोजन से जोडने का प्रयास करेगा तो वह इस धारा के अंतर्गत दण्ड भुगतने का पात्र होगा। धारा 372 का मुख्य उद्देश्य नाबालिगों को इस प्रकार के अनैतिक और अनैतिहासिक कृत्यों से बचाना और समाज में न्याय और समाजसेवा की भावना को मजबूत करना है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 372 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग (जिसकी आयु अठारह वर्ष से कम हो) को वेश्यावॄत्ति या किसी व्यक्ति से अवैध संभोग करने के या फिर किसी भी विधिविरुद्ध और दुराचारी प्रयोजन के काम या उपयोग में लाये जाने के आशय से या यह जानते हुए भी कि उसे आगे किसी भी आयु में इस तरह के किसी प्रयोजन के काम में लाया जा सकता है, उसे बेचेगा अथवा भाड़े पर देगा, तो ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति को भारतीय कानून में अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 372 के अंतर्गत, नाबालिग को वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजनों के लिए बेचना या भाड़े पर देने के जुर्म में 10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
नाबालिग को वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजनों के लिए बेचना या भाड़े पर देना |
दण्ड |
10 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 372 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 372 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 372 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 372 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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