भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 347 सम्पत्ति की जबरन वसूली या अवैध कार्यों के लिए दूसरों को मजबूर करने जैसे अपराधों के बारे में संज्ञान लेती है। इस तरह के अपराध गंभीर अपराध होते है, जो समाज में असुरक्षा और अव्यवस्था को बढ़ाते है। धारा 347 ऐसे अपराधों के लिए सजा का निर्धारण करती है। यह धारा नागरिकों को अपने अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करती है और अनैतिक या अवैध प्रयासों को रोकती है, बल्कि सामाजिक न्याय को भी सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया को अवलंबित करती है। इस तरह यह धारा समाज में न्याय के प्रति विश्वास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 347 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति किसी का इस प्रयोजन से सदोष परिरोध करता है कि उस परिरुद्ध व्यक्ति से या उससे हितबद्ध किसी अन्य व्यक्ति से किसी प्रकार की जबरन वसूली की जाए या उसे किसी प्रकार का अवैध कार्य करने के लिए मजबूर किया जाए अथवा कोई ऐसी जानकारी देने के लिए मजबूर किया जाए, जिससे अपराध का किया जाना सुगम हो जाए, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 347 के अंतर्गत, सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध जैसे अपराधों के लिए 3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
अपराध |
सम्पत्ति की जबरन वसूली करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने के लिए सदोष परिरोध करना |
दण्ड |
3 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 347 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 448 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 347 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 347 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
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