भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 310 में ठगी को परिभाषित किया गया है। यह धारा उन स्तिथियों के बारे में बताती है, जिसे भारतीय कानून प्रणाली में ठगी कहा गया है। ठगी एक ऐसी अवैध गतिविधि है जिसमें व्यक्ति या समूह धोखाधड़ी के तरीके से अन्य व्यक्तियों से संपत्ति का हासिल करने का प्रयास करता है। यह एक गंभीर अपराध है और जिसके लिए कड़ी कारवाई की जा सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 310 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के पारित होने के पश्चात् मार्ग में या घरों में घुसकर हत्या कर लूटपाट करने, शिशुओं की चोरी करने के प्रयोजन के लिए अन्य व्यक्ति या फिर अन्य व्यक्तियों से अभ्यासत: सहयुक्त रहता है अथवा हत्या द्वारा या हत्या सहित लूट जैसे काम करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 310 के अंतर्गत केवल ठग के लिए परिभाषा दी गई है, लेकिन इस धारा में ऐसे अपराधों के लिए किसी भी सजा का प्रावधान नहीं किया गया है। ठगी के अपराधों के लिए सजा का प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 311 के अंतर्गत देखने को मिलता है। इस धारा में ठगी के लिए आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
अपराध |
ठगी करना |
दण्ड |
आजीवन कारावास के साथ आर्थिक दंड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 310 के अंतर्गत किये जाने वाले ठगी के अपराधों को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 310 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को सत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया जाता है। इस तरह के अपराधों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 310 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 310 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर नहीं आ पाएगा।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
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Bail | |
Triable By | |