285 IPC in Hindi | धारा 285 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

285 IPC in Hindi

285 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड संहिता (IPC), 1860 की धारा 285 में आग और ज्वलनशील पदार्थों से जुड़े खतरनाक आचरणों के प्रति संज्ञान देखने को मिलता है। यह धारा बेहद महत्वपूर्ण धारा है, जो आग और ज्वलनशील पदार्थों के सही इस्तेमाल की महत्वपूर्ण विधियों को निर्धारित करती है। इस धारा उन स्थितियों में लागु होती है, जिनमें अग्नि या ज्वलनशील पदार्थों के संबंध में सावधानी नहीं बरती जाती। इस धारा का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन और समृद्धि की सुरक्षा करना है।

धारा 285 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 285 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति आग या किसी भी अन्य प्रकार के ज्वलनशील पदार्थ से उतावलेपन में या उपेक्षा से कोई ऐसा कार्य करता है, जिससे मानव जीवन पर किसी भी प्रकार का खतरा आए या किसी व्यक्ति को चोट या क्षति कारित होने की संभावना हो अथवा कोई व्यक्ति अपने कब्जे में संग्रहीत आग या अन्य किसी ज्वलनशील पदार्थ का उपेक्षापूर्वक लोप कर देता है, यह जानते हुए भी कि यह पदार्थ मानव जीवन को किसी अधिसम्भाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त होगा,  तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।

धारा 285 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 285 के अंतर्गत अग्नि या किसी भी ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण द्वारा मानव जीवन आदि को खतरे में डालने जैसे अपराधों के लिए छह महीने का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों प्रकार की सजाओं का प्रावधान किया गया है।

अपराध

अग्नि या किसी भी ज्वलनशील पदार्थ के सम्बन्ध में उपेक्षापूर्ण आचरण द्वारा मानव जीवन आदि को खतरे में डालना

दण्ड

6 महीने का कारावास या आर्थिक दंड के रूप में एक हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों

अपराध श्रेणी

संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय

धारा 285 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 285 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 285 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों को किसी भी श्रेणी के समक्ष पेश किया जाता है। ऐसे अपराधों में समझौता करने की कोई सम्भवना नहीं होती है।

धारा 285 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 285 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 285 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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