भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 276 एक ऐसा क़ानून है जो औषधियों के अनैतिक तरीके से विक्रय करने को प्रतिबंधित करता है। यह धारा उन लोगों के खिलाफ होता है जो धोखाधड़ी के माध्यम से अनुभव और असुरक्षित औषधियों को बेचते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं। इस धारा का पालन करना समाज की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। धारा 276 के अनुसार अपराध करने पर कड़ी कार्रवाई होती है। इसमें दंड और सजा निर्धारित की जाती है, जो कानूनी प्रक्रिया के अनुसार होती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 276 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी औषधि या भेषजीय निर्मिति को, भिन्न औषधि या भेषजीय निर्मिति के तौर पर बेचेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा या किसी औषधीय प्रयोजनों के लिए औषधालय से देगा, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भी भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता की धारा 276 के अंतर्गत, औषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय करने जैसे अपराधों के लिए छह महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
औषधि का भिन्न औषधि या निर्मिति के तौर पर विक्रय करना |
दण्ड |
6 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना या दोनों |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 276 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 276 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष पेश किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 276 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 276 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Triable By | |