भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है जो भारतीय समाज के न्यायिक तंत्र को संचालित करता है। इसके तहत कपटपूर्वक कृत्य करने से सम्बन्धित विभिन्न अपराधों को परिभाषित किया गया है। इस तरह के अपराधिक कृत्य न केवल व्यक्ति के निजी जीवन को हानि पहुंचाता है, बल्कि समाज की न्यायिक निष्पक्षता और विश्वास को भी क्षति पहुंचाते हैं, इसलिए कपट और धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति के प्रति सख्त कार्रवाई करना बेहद जरूरी है। ताकि समाज में लोगों का एक-दूसरे के प्रति विश्वास बना रहे। हालाँकि इस धारा में इस तरह के कपटपूर्ण मामलों के सम्बन्ध में किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं किया गया है। यह धारा केवल इस अपराध को परिभाषित करती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 25 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी न्य व्यक्ति के साथ कपट करने के उद्देश्य से कोई कार्य करता है, उसे कपटपूर्वक कृत्य कहा जाता है।
धारा 25 के अंतर्गत कपटपूर्ण कार्य में धोखे के साथ हानि भी कारित होनी चाहिए। यदि किये गए कार्य में केवल झूठ बोला जाए लेकिन उससे सामने वाले को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची हो, तो ऐसे मामलों में इसे कपट नही कहा जायेगा। बेईमानी में धोखा निहित नहीं होता है, जबकि कपट में हमेशा धोखा निहित होता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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