200 IPC in Hindi | धारा 200 क्या है?

200 IPC in Hindi

200 IPC in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 200 एक महत्वपूर्ण और गंभीर धारा है, जो झूठे साक्ष्य या घोषणा के सच के रूप में उपयोग करने को कड़ी सजा के तौर पर देती है। यह धारा न्यायिक प्रक्रिया को सुधारने और समाज की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। धारा 200 का मुख्य उद्देश्य झूठे साक्ष्य या घोषणा को रोकना है। इसके अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध के संबंध में झूठा साक्ष्य या घोषणा देता है, तो वह धारा 200 के तहत दोषी माना जाता है और उसे कठोर सजा होती है। इसमें जेल की सजा और धनी द्वारा मुआवज़ा देने की भी संभावना होती है। यह धारा न केवल न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करती है, बल्कि समाज के न्याय और सत्य के मानकों को भी बढ़ावा देती है।

धारा 200 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 200 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति सम्भाव्य रूप से यह जानते हुए हुए भी कि उसके द्वारा की जाने वाली घोषणा या साक्ष्य झूठे है, उसे सच्ची घोषणा के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाता है, या ऐसा करने का प्रयत्न करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाएगा।

स्पष्टीकरण - धारा 199 और धारा 200 के अर्थ के अंतर्गत की गई कोई घोषणा है, जो केवल किसी अप्ररूपिता के आधार पर अग्राह्य है।

धारा 200 के अंतर्गत सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 200 के अंतर्गत, किसी भी झूठे साक्ष्य या घोषणा का सच के रूप में उपयोग करने जैसे अपराधों के लिए दण्ड के रूप में झूठे साक्ष्य का उपयोग किये जाने वाले अपराध के दण्ड के समतुल्य सजा का प्रावधान किया गया है।

अपराध

किसी भी झूठे साक्ष्य या घोषणा का सच के रूप में उपयोग करना

दण्ड

झूठे साक्ष्य का उपयोग किये जाने वाले अपराध के दण्ड के समतुल्य

अपराध श्रेणी

गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं)

जमानत

जमानतीय

विचारणीय

किसी भी श्रेणी के न्यायालय द्वारा विचारणीय

धारा 200 की अपराध श्रेणी

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 200 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू नहीं की जा सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 200 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का किसी भी श्रेणी के न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।

धारा 200 के अंतर्गत जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 200 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 200 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।

Offence Punishment Cognizance Bail Triable By
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