भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 155 एक महत्वपूर्ण धारा है जो उपद्रव को रोकने के लिए सभी वैध साधनों का उपयोग नहीं करने पर लागू होती है। यह धारा समाज में शांति और सुरक्षा की भावना को संरक्षित करने का प्रयास करती है। जब कोई व्यक्ति सामाजिक या कानूनी नियमों का उल्लंघन करता है और उपद्रव मचाता है, तो धारा 155 का प्रावधान उस उपद्रव को रोकने के लिए अवश्य उपयोगी साबित होता है। विभिन्न रूप के उपद्रव समाज में अशांति और असुरक्षा का माहौल पैदा करते हैं। यह धारा समाज में शांति और सुरक्षा की भावना बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 155 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो किसी भूमि, का स्वामी या अधिवासी हो या जो ऐसी किसी भूमि में या उपद्रव को पैदा करने वाले किसी विवादग्रस्त विषय में किसी प्रकार का हित रखता हो अपने फायदे के फायदे के लिए उपद्रव करे या उसकी ओर से उपद्रव किया जाए, जिससे उसे किसी प्रकार का फायदा प्राप्त हो रहा हो, या उसका अभिकर्ता या प्रबंधक इस बात का विश्वास करने का कारण रखते हुए भी कि ऐसा उपद्रव किया जाना संभाव्य है या जिस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह द्वारा ऐसा उपद्रव किया जाए, उस जनसमूह का होना सम्भाव्य है, और उसके बाद भी वह अपनी क्षमता और शक्ति अनुसार सब क़ानूनी साधनों का उपयोग कर उस ग़ैरक़ानूनी जनसमूह को बिखरने या उपद्रव को दबाने की कोशिश नहीं करता है, तो ऐसा कार्य करने वाला व्यक्ति भारतीय कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता की धारा 155 के अंतर्गत उपद्रव को रोकने के लिए सभी वैध साधनों का उपयोग नहीं करने जैसे अपराधों के लिए 7 साल के कारावास के साथ आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराध |
उपद्रव को रोकने के लिए सभी वैध साधनों का उपयोग नहीं करने पर |
दण्ड |
आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना |
अपराध श्रेणी |
गैर-संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 155 के अंतर्गत किया गया अपराध एक गैर-संज्ञेय/असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के भी जाँच शुरू नहीं कर सकती है यही नहीं ऐसे मामलों में किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता होती है। धारा 155 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के न्यायधीश के समक्ष पेश किया जा सकता है। इस तरह के मामलों में समझौता करना सम्भव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 155 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 155 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
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Triable By | |