समाज में दुष्प्रेरण या उकसावे से सम्बन्धित कई अपराध होते हैं, जिनसे शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तौर पर किसी को भी प्रताड़ित किया जा सकता है। इस प्रकार के अपराध कोई बार धार्मिकता से भी जुड़े होते है, जो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं और समाज की सुरक्षा और समानता को खतरे में डालते हैं, इसलिए इस प्रकार के अपराध को रोकने के लिए लोगो को इस धारा के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 107 के अंतर्गत धारा दुष्प्रेरण यानि उकसावे से सम्बन्धित मामलों का उल्लेख किया गया है। अगर कोई व्यक्ति निम्नलिखित काम करता है तो धारा 107 अंतर्गत वह अपराधी माना जाएगा।
इस तरह के अपराध में बहकावे में आकर अपराध करने वाला व्यक्ति और अपराधी को बहकाने वाला व्यक्ति दोनों के लिए ही सजा का प्रावधान है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 107 व्यक्ति के अपराध के बारे में तो वर्णन करती है, लेकिन इस धारा में किसी भी प्रकार की सजा का उल्लेख नहीं किया गया है। दुष्प्रेरण/उकसावे से सम्बन्धित अपराधों का उल्लेख धारा 109 से धारा 116 में देखने को मिलता है।
संहिता की धारा 109 के तहत, दुष्प्रेरित व्यक्ति द्वारा किए गए किसी अपराधिक कार्य के लिए उस व्यक्ति को दुष्प्रेरणा देने वाला व्यक्ति भी समान रूप से उत्तरदायी होगा। यानि अगर कोई व्यक्ति किसी से उकसाने पर चोरी करता है और उसे 6 महीने के कारावास की सजा दी जाएगी, वहीँ उकसाने वाले व्यक्ति को भी 6 महीने की कैद होगी। यह नियम ऐसे अपराधों में लागू नहीं होता है जहां उकसाने वाले और उकसाने वाले व्यक्ति को अलग-अलग सजा देने के लिए अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं।
इसके अलावा, धारा 115 के तहत यदि गंभीर दुष्प्रेरित कार्य जिससे किसी की मृत्यु हो जाए ऐसे अपराध के लिए मृत्युदंड का प्रावधान था और दुष्प्रेरक को 7 साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा, जबकि ऐसा अपराध जिसमें किसी को जान का नुकसान न हो, तो उसमें दुष्प्रेरित करने वाले को 14 साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
धारा 116 में दुष्प्रेरण से सम्बन्धित सजा का प्रावधान है। यदि उकसाया गया कार्य कारावास से दंडनीय है, लेकिन ऐसा किया नहीं गया है, तो ऐसे मामले में उकसाने वाला ऐसे अपराध के लिए प्रदान की गई अधिकतम अवधि के 1/4 के लिए उत्तरदायी है।
जैसा कि हमने अभी बताया IPC की धारा 107 केवल मूल अपराध के बारे में जानकारी देती। इस धारा में अपराध की सजा से सम्बन्धित कोई प्रावधान नहीं है। तो धारा 107 के अपराध में जिस धारा के अंतर्गत सजा की जाएगी उसी पर यह निर्भर करेगा कि अपराधी द्वारा किया गया अपराध किस श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होगा और वह अपराध जमानती (Bailable) या गैर-जमानती (Non-Bailable) है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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