भारतीय दंड संहिता अधिनियम (IPC) 1860 के अंतर्गत अनेक धाराएं शामिल हैं, जो विभिन्न प्रकार के अपराधों और उनके अपराधों और दण्ड के प्रावधानों का उल्लेख करती है। धारा 341 आईपीसी भी एक ऐसी ही महत्वपूर्ण धारा है, जो सदोष अवरोध के लिए दण्ड प्रदान करती है। यह अपराध न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करता है, बल्कि समाज में सुरक्षा और भरोसा की भावना को भी खत्म करता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 341 के अंतर्गत, सदोष अवरोध करने वाले व्यक्ति को भी भारतीय कानून के अनुसार अपराधी माना जाता है।
सरल भाषा में कहा जाए तो यदि व्यक्ति किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकता है, तो ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति को भी दोषी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 341 के अंतर्गत पाए जाने वाले अपराधों के लिए भारतीय कानून प्रणाली में एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में सदोष अवरोध के लिए दण्ड के रूप में 1 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
अपराध |
सदोष अवरोध के लिए दण्ड |
दण्ड |
1 month of imprisonment or fine, or both |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 341 के अंतर्गत किया गया अपराध दोनों अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए भी वारंट की आवश्यकता भी नही पड़ती है। धारा 341 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामलों का ट्रायल किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाता हैं। इस प्रकार के मामलों में समझौता करना भी संभव नहीं होता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 341 के अंतर्गत किए गए अपराधों को जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाता है, यानि यदि कोई व्यक्ति ऐसे मामलों में गिरफ्तार किया जाता है, तो उस अपराधी तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |