भारतीय कानूनी प्रणाली में, गैरकानूनी गतिविधियों का सम्बंध रखने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए विभिन्न धाराएं हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण धारा है धारा 143 आईपीसी, जो गैरकानूनी जनसमूह के सदस्य होने पर लगाई जाती है। इस धारा का उद्देश्य लोगों को गैरकानूनी गतिविधियों से दूर रखना और सामाजिक असुरक्षा को बनाए रखना है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य पाया जाता है, तो वह व्यक्ति भी भारतीय कानून के अनुसार अपराधी घोषित किया जाएगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143 के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य पाया जाता है, तो भारतीय कानून प्रणाली में उसके लिए भी एक निश्चित सजा का प्रावधान है। IPC में इस तरह के अपराधों के लिए एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों सजाओं का प्रावधान है।
अपराध |
गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होने पर दोषी पाए जाने पर |
दंड |
6 महीने का कारावास या आर्थिक दण्ड के रूप में जुर्माना अथवा दोनों |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य) |
जमानत |
जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है, यानि जिस भी व्यक्ति को इसके बारे में पता हो, वह व्यक्ति पुलिस को इसके बारे में सूचना दे सकता है। इस प्रकार के मामलों में पुलिस अदालत की अनुमति के बिना भी जाँच शुरू कर सकती है और बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। धारा 143 के अंतर्गत दर्ज किए गए मामले में किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते है। इस प्रकार के मामलों में समझौता भी किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध की श्रेणी में शामिल किए जाते हैं, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 143 के किसी मामले में गिरफ्तार किया जाता है, तो वह तुरंत जमानत पर बाहर आ सकता है।
Offence | Punishment | Cognizance | Bail | Triable By |
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Offence | |
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Punishment | |
Cognizance | |
Bail | |
Triable By | |