Date : 02 Jan, 2024
Post By स्पर्श गोयल
भारतीय कानून व्यवस्था में, भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 354 महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को संरक्षित करने का उद्देश्य रखती है। यह धारा महिलाओं को समाज में सुरक्षित महसूस कराने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह उन्हें संरक्षण और आत्मा-सम्मान का एहसास दिलाती है कि कोई भी उनके साथ अनुचित तरीके से व्यवहार नहीं कर सकता।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के अनुसार, यदि कोई भी व्यक्ति किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के उद्देश्य से उस स्त्री पर हमला करता है या अपने बल का प्रयोग करता है, तो वह व्यक्ति अपराधी माना जाता है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ पीड़िता शिकायत दर्ज करा सकती है और व्यवस्थापकीय अदालतें उस पर कार्रवाई कर सकती है। IPC की धारा 354 में कुछ संशोधन करने के बाद धारा 354 में कई उप-धाराएं भी जोड़ी गई है। इन धाराओं में धारा 354-A, 354-B, 354-C और 354-D शामिल है।
354-A: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354-A के अंतर्गत, किसी महिला को गलत तरीके से छूना या दुर्भावनापूर्ण इरादे से छूना जिसमें स्पष्ट यौन प्रस्ताव शामिल हैं या फिर किसी महिला पर अभद्र या कामुक टिप्पणियाँ करना, महिला की सहमति के बिना जबरन अश्लील या सेक्सुअल सामग्री दिखाना या फिर मैथुन के लिए मांग या अनुरोध करना शामिल है।
354-B: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354-B के अंतर्गत, वह व्यक्ति अपराधी माना जाता है, जो व्यक्ति किसी स्त्री को बलपूर्वक निवस्त्र होने के लिए मजबूर करे या उकसाए।
354-C: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354-C के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री को संदिग्ध स्थितियों में देखता है या उसकी तस्वीरें लेता है या फिर उसकी निजी तस्वीरें प्रसारित करता है, तो उस व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
354-D: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354-D के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति किसी स्त्री पर गलत इरादे से इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे इंटरनेट, ई-मेल या कोई सोशल मीडिया के जरिए निगरानी करता है या फिर उस स्त्री का पीछा करता है, तो भी उस व्यक्ति को अपराधी माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में एक वर्ष की अवधि से लेकर 5 वर्ष तक की अवधि के कारावास की सजा या आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है।
अपराध |
स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना |
दंड |
1 से 5 वर्ष का कारावास, या जुर्माना या दोनों। |
अपराध श्रेणी |
संज्ञेय अपराध (समझौता करने योग्य नहीं) |
जमानत |
गैर-जमानतीय |
विचारणीय |
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
धारा 354 के अंतर्गत संशोधन के बाद शामिल की गई सभी धाराओं में अलग-अलग अपराधों के लिए अलग-अलग दंड का प्रावधान है, जो कि इस प्रकार है।
IPC 354-A के अंतर्गत सजा का प्रावधान- भारतीय दंड संहिता की धारा 354-A के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में 1 वर्ष की अवधि से लेकर 3 साल तक की अवधि के कारावास की सजा या आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है।
IPC 354-B के अंतर्गत सजा का प्रावधान- भारतीय दंड संहिता की धारा 354-B के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में 1 वर्ष की अवधि से लेकर 7 साल तक की अवधि के कारावास की सजा या आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है।
IPC 354-C के अंतर्गत सजा का प्रावधान- भारतीय दंड संहिता की धारा 354-C के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति पहली बार अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में 1 वर्ष की अवधि से लेकर 3 साल तक की अवधि के कारावास की सजा या आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है। दूसरी बार अपराधी पाये जाने पर 7 वर्ष कारावास और आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है।
IPC 354-D के अंतर्गत सजा का प्रावधान- भारतीय दंड संहिता की धारा 354-D के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति पहली बार अपराधी पाया जाता है, तो उस अपराधी को दंड के रूप में 1 वर्ष की अवधि से लेकर 3 साल तक की अवधि के कारावास की सजा या आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है। दूसरी बार अपराधी पाये जाने पर 7 वर्ष कारावास और आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के अपराध किसी भी श्रेणी वाले मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होते हैं। इस प्रकार के अपराध समझौता करने योग्य नहीं होते हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 354 के अधीन अपराधी माना जाता है, तो गिरफ्तार किए जाने पर अपराधी को जमानत नही मिल पाएगी।