Date : 03 Jan, 2024
Post By स्पर्श गोयल
भारतीय कानूनी तंत्र में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 को गंभीर अपराधों की श्रेणी में गिना जाता है और इस अपराध के लिए अपराधियों के प्रति कड़ी कार्रवाई की जाती है और साथ ही कड़ी सजा का प्रावधान है।
यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की मृत्यु करने के इरादे से कोई कार्य करता है या कोई ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कर देता है, जिसके कारण किसी की मृत्यु हो जाए तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (IPC Section 307) के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा।
यदि कोई व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत अपराधी पाया जाता है, तो भारतीय कानून में उसके लिए सजाओं का प्रावधान निम्नलिखित है।
10 साल कारावास और आर्थिक दंड का प्रावधान - अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करता है, तो इस अपराध के लिए धारा 307 के अंतर्गत 10 साल कारावास और आर्थिक दंड का प्रावधान है।
आजीवन कारावास या 10 साल कारावास और आर्थिक दंड - अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करता है और इस दौरान सामने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार की चोट लग जाती है, तो इस अपराध के लिए धारा 307 के अंतर्गत आजीवन कारावास या 10 साल कारावास के साथ आर्थिक दंड का प्रावधान है। कारावास कितनी अवधि के लिए होगा यह पीड़ित की चोट पर निर्भर करता है।
मृत्यु दंड या 10 साल कारावास और आर्थिक दंड - अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करता है और इस दौरान पीड़ित को किसी प्रकार की गंभीर चोट लग जाती है, तो इस अपराध के लिए धारा 307 के अंतर्गत मृत्यु दंड या 10 साल कारावास के साथ आर्थिक दंड का प्रावधान है। दंड किस प्रकार का होगा यह पीड़ित की चोट के और परिस्थितियों के ऊपर निर्भर करता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध है। इस प्रकार के अपराध केवल सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होते हैं। साथ ही इस प्रकार के अपराधों में दोनों पक्षों के बीच किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत किए गए सभी अपराध गैर जमानतीय अपराध की श्रेणी में आते है, यानि अगर कोई व्यक्ति धारा 307 के अधीन अपराधी माना जाता है, तो गिरफ्तार किए जाने पर अपराधी को जमानत नहीं मिलेगी।